हर किसी को उसका बेटा सुंदर लगता है, लेकिन जिसकी तारीफ़ दूसरे करते हैं, वह निश्चित रूप से सुंदर होता है।
कोई भी व्यक्ति अपने पेशे से घृणा नहीं करता, लेकिन उसे केवल उन्हीं वस्तुओं का व्यापार करना चाहिए जिनकी अन्य लोग प्रशंसा करते हों।
अपने परिवार के रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन तो सभी करते हैं, लेकिन शास्त्रों और सामाजिक परंपराओं के अनुसार किए गए सभी कर्म ही सर्वोच्च माने जाते हैं।
सभी कहते हैं कि गुरु के बिना मोक्ष नहीं मिल सकता, परन्तु आवश्यकता है ऐसे योग्य सच्चे गुरु की जो गृहस्थ जीवन, समाज में रहते हुए तथा सभी भौतिक सुखों का आनंद लेते हुए व्यक्ति को अपने उपदेश से मोक्ष दिला सके। (553)