कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 539


ਜੈਸੇ ਤਉ ਕਹੈ ਮੰਜਾਰ ਕਰਉ ਨ ਅਹਾਰ ਮਾਸ ਮੂਸਾ ਦੇਖਿ ਪਾਛੈ ਦਉਰੇ ਧੀਰ ਨ ਧਰਤ ਹੈ ।
जैसे तउ कहै मंजार करउ न अहार मास मूसा देखि पाछै दउरे धीर न धरत है ।

जैसे एक नर बिल्ली कहती है कि उसने मांस खाना बंद कर दिया है, लेकिन जैसे ही वह एक चूहे को देखती है, उसके पीछे दौड़ पड़ती है (उसे खाने की अपनी इच्छा को नियंत्रित नहीं कर पाती)।

ਜੈਸੇ ਕਊਆ ਰੀਸ ਕੈ ਮਰਾਲ ਸਭਾ ਜਾਇ ਬੈਠੇ ਛਾਡਿ ਮੁਕਤਾਹਲ ਦੁਰਗੰਧ ਸਿਮਰਤ ਹੈ ।
जैसे कऊआ रीस कै मराल सभा जाइ बैठे छाडि मुकताहल दुरगंध सिमरत है ।

जिस प्रकार कौआ हंसों के बीच जाकर बैठता है, परंतु हंसों का भोजन मोती छोड़कर सदैव मैल और कूड़ा-कचरा खाने की इच्छा रखता है।

ਜੈਸੇ ਮੋਨਿ ਗਹਿ ਸਿਆਰ ਕਰਤ ਅਨੇਕ ਜਤਨ ਸੁਨਤ ਸਿਆਰ ਭਾਖਿਆ ਰਹਿਓ ਨ ਪਰਤ ਹੈ ।
जैसे मोनि गहि सिआर करत अनेक जतन सुनत सिआर भाखिआ रहिओ न परत है ।

जिस प्रकार एक सियार लाख कोशिश कर ले कि चुप रहे, लेकिन आदतन दूसरे सियारों की बात सुनकर वह चिल्लाना बंद नहीं कर सकता।

ਤੈਸੇ ਪਰ ਤਨ ਪਰ ਧਨ ਦੂਖ ਨ ਤ੍ਰਿਦੋਖ ਮਨ ਕਹਤ ਕੈ ਛਾਡਿਓ ਚਾਹੈ ਟੇਵ ਨ ਟਰਤ ਹੈ ।੫੩੯।
तैसे पर तन पर धन दूख न त्रिदोख मन कहत कै छाडिओ चाहै टेव न टरत है ।५३९।

इसी प्रकार दूसरों की स्त्री पर दृष्टि डालना, दूसरों के धन पर नजर रखना तथा दूसरों की निन्दा करना ये तीन दुर्गुण मेरे मन में असाध्य रोग की तरह घर कर गए हैं। यदि कोई मुझे इन्हें छोड़ने के लिए कहे भी तो ये दुर्गुण दूर नहीं हो सकते।