जो सिख सच्चे गुरु की शरण में जाता है, सारा संसार उसके चरणों में झुक जाता है।
जो सिख अपने गुरु की आज्ञा को सत्य मानकर उसका पालन करता है, उसकी आज्ञा को सारा संसार प्यार करता है।
जो सिख गुरुभक्त अपने गुरु की प्रेमपूर्ण भक्ति के साथ सेवा करता है, और अपनी जान देकर भी ऐसी सेवा को पूजा मानता है, उसके सामने सभी खजाने मूक बने रहते हैं।
जिस सिख के हृदय में गुरु की शिक्षाएं और समर्पण है, वह उनकी शिक्षाओं/उपदेशों को सुनकर सर्वोच्च आध्यात्मिक स्थिति तक पहुंच सकता है। (87)