जिस प्रकार एक पतिव्रता पत्नी किसी अन्य पुरुष की ओर देखना पसंद नहीं करती तथा ईमानदार और वफादार होने के कारण अपने मन में हमेशा अपने पति का साथ देती है।
जिस प्रकार एक वर्षा पक्षी झील, नदी या समुद्र से जल नहीं चाहता, बल्कि बादलों से स्वाति बूँद के लिए रोता रहता है।
जिस प्रकार एक लाल रंग का शेल्ड्रेक सूर्य को देखना भी पसंद नहीं करता, भले ही सूर्य उदय हो रहा हो, क्योंकि चंद्रमा ही उसका सभी प्रकार से प्रिय है।
ऐसा ही वह सच्चे गुरु का समर्पित शिष्य है जो अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय गुरु के अतिरिक्त अन्य किसी देवी-देवता की पूजा नहीं करता, अपितु शांतचित्त रहकर न तो किसी का अनादर करता है, न ही अपनी श्रेष्ठता का अहंकार प्रकट करता है। (४६६)