कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 466


ਜੈਸੇ ਪਤਿਬ੍ਰਤਾ ਪਰ ਪੁਰਖੈ ਨ ਦੇਖਿਓ ਚਾਹੈ ਪੂਰਨ ਪਤਿਬ੍ਰਤਾ ਕੈ ਪਤਿ ਹੀ ਕੈ ਧਿਆਨ ਹੈ ।
जैसे पतिब्रता पर पुरखै न देखिओ चाहै पूरन पतिब्रता कै पति ही कै धिआन है ।

जिस प्रकार एक पतिव्रता पत्नी किसी अन्य पुरुष की ओर देखना पसंद नहीं करती तथा ईमानदार और वफादार होने के कारण अपने मन में हमेशा अपने पति का साथ देती है।

ਸਰ ਸਰਿਤਾ ਸਮੁੰਦ੍ਰ ਚਾਤ੍ਰਿਕ ਨ ਚਾਹੈ ਕਾਹੂ ਆਸ ਘਨ ਬੂੰਦ ਪ੍ਰਿਅ ਪ੍ਰਿਅ ਗੁਨ ਗਿਆਨ ਹੈ ।
सर सरिता समुंद्र चात्रिक न चाहै काहू आस घन बूंद प्रिअ प्रिअ गुन गिआन है ।

जिस प्रकार एक वर्षा पक्षी झील, नदी या समुद्र से जल नहीं चाहता, बल्कि बादलों से स्वाति बूँद के लिए रोता रहता है।

ਦਿਨਕਰ ਓਰ ਭੋਰ ਚਾਹਤ ਨਹੀ ਚਕੋਰ ਮਨ ਬਚ ਕ੍ਰਮ ਹਿਮਕਰ ਪ੍ਰਿਅ ਪ੍ਰਾਨ ਹੈ ।
दिनकर ओर भोर चाहत नही चकोर मन बच क्रम हिमकर प्रिअ प्रान है ।

जिस प्रकार एक लाल रंग का शेल्ड्रेक सूर्य को देखना भी पसंद नहीं करता, भले ही सूर्य उदय हो रहा हो, क्योंकि चंद्रमा ही उसका सभी प्रकार से प्रिय है।

ਤੈਸੇ ਗੁਰਸਿਖ ਆਨ ਦੇਵ ਸੇਵ ਰਹਤਿ ਪੈ ਸਹਜ ਸੁਭਾਵ ਨ ਅਵਗਿਆ ਅਭਮਾਨੁ ਹੈ ।੪੬੬।
तैसे गुरसिख आन देव सेव रहति पै सहज सुभाव न अवगिआ अभमानु है ।४६६।

ऐसा ही वह सच्चे गुरु का समर्पित शिष्य है जो अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय गुरु के अतिरिक्त अन्य किसी देवी-देवता की पूजा नहीं करता, अपितु शांतचित्त रहकर न तो किसी का अनादर करता है, न ही अपनी श्रेष्ठता का अहंकार प्रकट करता है। (४६६)