जैसे कच्चा पारा खाने से शरीर में ऐसी विकृति उत्पन्न होती है जिससे अंग-अंग में दर्द होता है और बेचैनी महसूस होती है।
जैसे लहसुन खाने के बाद कोई सभा में चुप रह जाए तो भी उसकी दुर्गंध नहीं छिप सकती।
जैसे कोई व्यक्ति मिठाई खाते समय मक्खी निगल ले तो उसे तुरन्त उल्टी हो जाती है। उसे बहुत कष्ट और परेशानी उठानी पड़ती है।
इसी प्रकार अज्ञानी व्यक्ति सच्चे गुरु के भक्तों द्वारा दिए गए प्रसाद को खाता है। वह अपनी मृत्यु के समय बहुत कष्ट उठाता है। उसे मृत्यु के दूतों के क्रोध का सामना करना पड़ता है। (517)