संगीतज्ञ ही संगीत और गायन की विधाओं तथा उनके विविध रूपों को जानता है। केवल वैरागी ही जानता है कि वैराग्य क्या होता है, केवल संन्यासी ही जानता है कि वैराग्य क्या होता है, केवल संन्यासी ही जानता है कि वैराग्य क्या होता है, तथा दानी ही जानता है कि वैराग्य क्या होता है।
इसी प्रकार योगी भगवान की प्राप्ति के लिए कठिन तप की विधि जानता है। आनन्द लेने वाला जानता है कि सांसारिक स्वाद का आनन्द कैसे लिया जाता है और यह बात दृढ़तापूर्वक कही जा सकती है कि धैर्यवान ही जानता है कि सांसारिक स्वाद का आनन्द कैसे लिया जाता है।
एक माली फूलों की देखभाल करना जानता है, एक पान बेचने वाला ही पान के पत्तों को संभाल कर रखना जानता है। एक इत्र बेचने वाले से सुगंध का रहस्य सीखा जा सकता है।
केवल एक जौहरी ही जानता है कि रत्न की वास्तविकता का मूल्यांकन और जांच कैसे की जाती है। एक व्यापारी व्यापार के सभी पहलुओं को जानता है लेकिन जो आध्यात्मिक गुणों की वास्तविकता को पहचान सकता है वह एक दुर्लभ, बुद्धिमान और ज्ञानी व्यक्ति है जिसने गुरु की शिक्षाओं को आत्मसात किया है।