कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 473


ਗਿਰਤ ਅਕਾਸ ਤੇ ਪਰਤ ਪ੍ਰਿਥੀ ਪਰ ਜਉ ਗਹੈ ਆਸਰੋ ਪਵਨ ਕਵਨਹਿ ਕਾਜਿ ਹੈ ।
गिरत अकास ते परत प्रिथी पर जउ गहै आसरो पवन कवनहि काजि है ।

जैसे आकाश से गिरता हुआ व्यक्ति हवा का सहारा लेने की कोशिश करता है, लेकिन वह सहारा व्यर्थ होता है।

ਜਰਤ ਬੈਸੰਤਰ ਜਉ ਧਾਇ ਧਾਇ ਧੂਮ ਗਹੈ ਨਿਕਸਿਓ ਨ ਜਾਇ ਖਲ ਬੁਧ ਉਪਰਾਜ ਹੈ ।
जरत बैसंतर जउ धाइ धाइ धूम गहै निकसिओ न जाइ खल बुध उपराज है ।

जिस प्रकार अग्नि में जलता हुआ व्यक्ति धुआँ पकड़कर अग्नि के प्रकोप से बचने का प्रयत्न करता है, वह अग्नि से बच नहीं पाता। इसके विपरीत यह उसकी मूर्खता ही दर्शाता है।

ਸਾਗਰ ਅਪਾਰ ਧਾਰ ਬੂਡਤ ਜਉ ਫੇਨ ਗਹੈ ਅਨਿਥਾ ਬੀਚਾਰ ਪਾਰ ਜੈਬੇ ਕੋ ਨ ਸਾਜ ਹੈ ।
सागर अपार धार बूडत जउ फेन गहै अनिथा बीचार पार जैबे को न साज है ।

जैसे समुद्र की तेज लहरों में डूबता हुआ व्यक्ति पानी की लहरों को पकड़कर अपने को बचाने का प्रयास करता है, ऐसा विचार पूर्णतः मूर्खतापूर्ण है, क्योंकि लहरें समुद्र पार करने का साधन नहीं हैं।

ਤੈਸੇ ਆਵਾ ਗਵਨ ਦੁਖਤ ਆਨ ਦੇਵ ਸੇਵ ਬਿਨੁ ਗੁਰ ਸਰਨਿ ਨ ਮੋਖ ਪਦੁ ਰਾਜ ਹੈ ।੪੭੩।
तैसे आवा गवन दुखत आन देव सेव बिनु गुर सरनि न मोख पदु राज है ।४७३।

इसी प्रकार किसी देवी-देवता की पूजा या सेवा करने से जन्म-मरण का चक्र समाप्त नहीं हो सकता। पूर्ण गुरु की शरण लिए बिना कोई मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता। (४७३)