दरोपादी ने अपने सिर को ढकने वाले दुपट्टे से एक कपड़ा दुरबाशा ऋषि को दे दिया था, जिनकी लंगोटी नदी में बह गई थी। नतीजतन, जब दुर्योधन के दरबार में उसे नंगा करने की कोशिश की गई, तो उसके शरीर से निकलने वाला कपड़ा लंबा हो गया
सुदामा ने अत्यन्त प्रेम से कृष्ण जी को मुट्ठी भर चावल अर्पित किये और बदले में उन्हें जीवन के चारों पुरुषार्थों के साथ-साथ भगवान कृष्ण के आशीर्वाद के अनेक अन्य खजाने भी प्राप्त हुए।
एक परेशान हाथी को ऑक्टोपस ने पकड़ लिया, उसने हताश होकर कमल का फूल तोड़ा और भगवान को अर्पित कर दिया। वह (हाथी) ऑक्टोपस के चंगुल से मुक्त हो गया।
अपने प्रयासों से कोई क्या कर सकता है ? अपने प्रयासों से कोई भी ठोस उपलब्धि नहीं हो सकती। यह सब भगवान की कृपा है। जिसकी मेहनत और भक्ति भगवान को स्वीकार हो जाती है, उसे भगवान से सभी प्रकार की शांति और सुख-सुविधाएँ प्राप्त होती हैं। (435)