जिस प्रकार हर कोई रात में अपने प्रियजनों की संगति का आनंद लेता है, लेकिन एक लाल रंग का शेल्ड्रेक अपने प्रिय से अलग होने के कारण दुर्भाग्यशाली माना जाता है।
जैसे सूर्योदय के समय जगह-जगह रोशनी फैल जाती है, लेकिन अंधेरी गलियों और दीवारों में एक उल्लू छिपा हुआ दिखाई देता है।
तालाब, नदी, सागर आदि जल से लबालब भरे हुए दिखाई देते हैं, किन्तु वर्षा की चाह में वर्षा-पक्षी प्यासा ही रह जाता है और उस स्वाति बूँद के लिए रोता-बिलखता रहता है।
इसी प्रकार सारे संसारी लोग सच्चे गुरु की संगति करके भवसागर से तर रहे हैं, परन्तु मैं पापी मनुष्य अपना सारा जीवन बुरे कर्मों और बुराइयों में बिता रहा हूँ। (509)