कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 262


ਪੂਰਨ ਬ੍ਰਹਮ ਗੁਰ ਮਹਿਮਾ ਕਹੈ ਸੁ ਥੋਰੀ ਕਥਨੀ ਬਦਨੀ ਬਾਦਿ ਨੇਤ ਨੇਤ ਨੇਤ ਹੈ ।
पूरन ब्रहम गुर महिमा कहै सु थोरी कथनी बदनी बादि नेत नेत नेत है ।

पृथ्वी पर पूर्ण परमात्मा के स्वरूप, सच्चे गुरु की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है। शब्दों में कहना व्यर्थ है, क्योंकि वे अनंत, असीम और अथाह हैं।

ਪੂਰਨ ਬ੍ਰਹਮ ਗੁਰ ਪੂਰਨ ਸਰਬਮਈ ਨਿੰਦਾ ਕਰੀਐ ਸੁ ਕਾ ਕੀ ਨਮੋ ਨਮੋ ਹੇਤ ਹੈ ।
पूरन ब्रहम गुर पूरन सरबमई निंदा करीऐ सु का की नमो नमो हेत है ।

सच्चे गुरु, जो सर्वव्यापी भगवान के स्वरूप हैं, सभी जीवों में पूर्ण रूप से प्रकट हैं। फिर किसकी निन्दा की जाए? वे बार-बार नमस्कार के योग्य हैं।

ਤਾਹੀ ਤੇ ਬਿਵਰਜਤ ਅਸੁਤਤਿ ਨਿੰਦਾ ਦੋਊ ਅਕਥ ਕਥਾ ਬੀਚਾਰਿ ਮੋਨਿ ਬ੍ਰਤ ਲੇਤ ਹੈ ।
ताही ते बिवरजत असुतति निंदा दोऊ अकथ कथा बीचारि मोनि ब्रत लेत है ।

और यही कारण है कि गुरु-चेतन व्यक्ति को किसी की भी प्रशंसा या निंदा करने की मनाही होती है। वह अद्वितीय स्वरूप वाले अवर्णनीय सच्चे गुरु के चिंतन में लीन रहता है।

ਬਾਲ ਬੁਧਿ ਸੁਧਿ ਕਰਿ ਦੇਹ ਕੈ ਬਿਦੇਹ ਭਏ ਜੀਵਨ ਮੁਕਤਿ ਗਤਿ ਬਿਸਮ ਸੁਚੇਤ ਹੈ ।੨੬੨।
बाल बुधि सुधि करि देह कै बिदेह भए जीवन मुकति गति बिसम सुचेत है ।२६२।

गुरु का शिष्य बालकों जैसी मासूमियत का जीवन जीकर तथा सभी बाह्य पूजा-अर्चनाओं को त्यागकर जीवित मृत अवस्था की ओर अग्रसर होता है। लेकिन वह एक विचित्र तरीके से सदैव सजग और मन से सचेत रहता है। (262)