वनस्पतियाँ अनेक रूपों में दिखाई देती हैं जैसे वृक्ष, लताएँ, फल, फूल, जड़ और शाखाएँ। भगवान की यह सुन्दर रचना अद्भुत कलात्मक कौशल के अनेक रूपों में प्रकट होती है।
इन पेड़ों और लताओं पर अलग-अलग स्वाद और सुगंध के फल लगते हैं, अलग-अलग आकार और रंग के फूल लगते हैं और ये सभी अलग-अलग तरह की खुशबू फैलाते हैं।
पेड़ों और लताओं के तने, उनकी शाखाएँ और पत्तियाँ अनेक प्रकार की होती हैं और प्रत्येक अपना अलग प्रभाव छोड़ती है।
जैसे इन सब प्रकार की वनस्पतियों में एक ही गुप्त अग्नि विद्यमान है, उसी प्रकार भगवद्प्रेमी पुरुष इस संसार के सभी प्राणियों के हृदय में एक ही प्रभु को निवास करते हुए देखते हैं। (४९)