कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 453


ਜੈਸੇ ਉਲੂ ਆਦਿਤ ਉਦੋਤਿ ਜੋਤਿ ਕਉ ਨ ਜਾਨੇ ਆਨ ਦੇਵ ਸੇਵਕੈ ਨ ਸੂਝੈ ਸਾਧਸੰਗ ਮੈ ।
जैसे उलू आदित उदोति जोति कउ न जाने आन देव सेवकै न सूझै साधसंग मै ।

जिस प्रकार उल्लू सूर्य के प्रकाश की महिमा को नहीं जान सकता, उसी प्रकार अन्य देवताओं का उपासक भी सच्चे गुरु की शिक्षा तथा पवित्र पुरुषों की संगति का अनुभव नहीं कर सकता।

ਮਰਕਟ ਮਨ ਮਾਨਿਕ ਮਹਿਮਾ ਨ ਜਾਨੇ ਆਨ ਦੇਵ ਸੇਵਕ ਨ ਸਬਦੁ ਪ੍ਰਸੰਗ ਮੈ ।
मरकट मन मानिक महिमा न जाने आन देव सेवक न सबदु प्रसंग मै ।

जिस प्रकार बंदर हीरे-मोतियों का मूल्य नहीं जानता, उसी प्रकार अन्य देवताओं का अनुयायी गुरु के उपदेश का महत्व नहीं समझ सकता।

ਜੈਸੇ ਤਉ ਫਨਿੰਦ੍ਰ ਪੈ ਪਾਠ ਮਹਾਤਮੈ ਨ ਜਾਨੈ ਆਨ ਦੇਵ ਸੇਵਕ ਮਹਾਪ੍ਰਸਾਦਿ ਅੰਗ ਮੈ ।
जैसे तउ फनिंद्र पै पाठ महातमै न जानै आन देव सेवक महाप्रसादि अंग मै ।

जिस प्रकार नाग अमृततुल्य दूध का स्वाद नहीं ले सकता, उसी प्रकार अन्य देवताओं का अनुयायी गुरु के वचनों के आशीर्वाद तथा उनके द्वारा समर्पित करह प्रसाद के महत्व को नहीं समझ सकता।

ਬਿਨੁ ਹੰਸ ਬੰਸ ਬਗ ਠਗ ਨ ਸਕਤ ਟਿਕ ਅਗਮ ਅਗਾਧਿ ਸੁਖ ਸਾਗਰ ਤਰੰਗ ਮੈ ।੪੫੩।
बिनु हंस बंस बग ठग न सकत टिक अगम अगाधि सुख सागर तरंग मै ।४५३।

जिस प्रकार बगुला हंसों के झुंड में नहीं समा सकता, तथा उसे मानसरोवर झील की सुखदायक लहरों का ज्ञान नहीं होता, उसी प्रकार अन्य देवताओं का उपासक (अनुयायी) सच्चे गुरु द्वारा आशीर्वाद प्राप्त भक्त सिखों की संगति में नहीं रह सकता, न ही वह गुरु के वचनों को समझ सकता है।