भगवान ने शेषनाग को बनाया, जिनके एक हजार सिरों पर पृथ्वी टिकी हुई है, और उन्हें धरणीधर कहा जाता है, और यदि उनके रचयिता को गिरधर (गोवर्धन पर्वत उठाने वाले-कृष्ण) के नाम से पुकारा जाए, तो उनकी कैसी प्रशंसा है?
जिस रचयिता ने एक पागल (शिव जी) को उत्पन्न किया और जिसे विश्वनाथ (ब्रह्मांड का स्वामी) कहा जाता है, यदि उसके रचयिता को बृजनाथ (ब्रज क्षेत्र के स्वामी-श्री कृष्ण) कहा जाए तो उसमें इतनी प्रशंसा की क्या बात है?
जिस रचयिता ने इस सम्पूर्ण विस्तार को रचा है, यदि उस रचयिता को नन्द-कृष्ण जी का पुत्र कहा जाए तो उसमें इतनी बड़ी बात क्या है?
(अतः ऐसी पूजा से) अज्ञानी और अन्धे भगवान् की पूजा समझते हैं, परन्तु वे भगवान् की निन्दा करते हैं। ऐसी पूजा से तो मौन रहना ही श्रेष्ठ है। (671)