कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 671


ਜਾ ਕੈ ਏਕ ਫਨ ਪੈ ਧਰਨ ਹੈ ਸੋ ਧਰਨੀਧਰ ਤਾਂਹਿ ਗਿਰਧਰ ਕਹੈ ਕਉਨ ਬਡਿਆਈ ਹੈ ।
जा कै एक फन पै धरन है सो धरनीधर तांहि गिरधर कहै कउन बडिआई है ।

भगवान ने शेषनाग को बनाया, जिनके एक हजार सिरों पर पृथ्वी टिकी हुई है, और उन्हें धरणीधर कहा जाता है, और यदि उनके रचयिता को गिरधर (गोवर्धन पर्वत उठाने वाले-कृष्ण) के नाम से पुकारा जाए, तो उनकी कैसी प्रशंसा है?

ਜਾ ਕੋ ਏਕ ਬਾਵਰੋ ਕਹਾਵਤ ਹੈ ਬਿਸ੍ਵਨਾਥ ਤਾਹਿ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਕਹੇ ਕੌਨ ਅਧਿਕਾਈ ਹੈ ।
जा को एक बावरो कहावत है बिस्वनाथ ताहि ब्रिजनाथ कहे कौन अधिकाई है ।

जिस रचयिता ने एक पागल (शिव जी) को उत्पन्न किया और जिसे विश्वनाथ (ब्रह्मांड का स्वामी) कहा जाता है, यदि उसके रचयिता को बृजनाथ (ब्रज क्षेत्र के स्वामी-श्री कृष्ण) कहा जाए तो उसमें इतनी प्रशंसा की क्या बात है?

ਸਗਲ ਅਕਾਰ ਓਂਕਾਰ ਕੇ ਬਿਥਾਰੇ ਜਿਨ ਤਾਹਿ ਨੰਦ ਨੰਦ ਕਹੈ ਕਉਨ ਠਕੁਰਾਈ ਹੈ ।
सगल अकार ओंकार के बिथारे जिन ताहि नंद नंद कहै कउन ठकुराई है ।

जिस रचयिता ने इस सम्पूर्ण विस्तार को रचा है, यदि उस रचयिता को नन्द-कृष्ण जी का पुत्र कहा जाए तो उसमें इतनी बड़ी बात क्या है?

ਉਸਤਤਿ ਜਾਨਿ ਨਿੰਦਾ ਕਰਤ ਅਗ੍ਯਾਨ ਅੰਧ ਐਸੇ ਹੀ ਅਰਾਧਨ ਤੇ ਮੋਨ ਸੁਖਦਾਈ ਹੈ ।੬੭੧।
उसतति जानि निंदा करत अग्यान अंध ऐसे ही अराधन ते मोन सुखदाई है ।६७१।

(अतः ऐसी पूजा से) अज्ञानी और अन्धे भगवान् की पूजा समझते हैं, परन्तु वे भगवान् की निन्दा करते हैं। ऐसी पूजा से तो मौन रहना ही श्रेष्ठ है। (671)