कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 536


ਜੈਸੇ ਤਉ ਸਰਿਤਾ ਜਲੁ ਕਾਸਟਹਿ ਨ ਬੋਰਤ ਕਰਤ ਚਿਤ ਲਾਜ ਅਪਨੋਈ ਪ੍ਰਤਿਪਾਰਿਓ ਹੈ ।
जैसे तउ सरिता जलु कासटहि न बोरत करत चित लाज अपनोई प्रतिपारिओ है ।

जैसे नदी-नालों का जल लकड़ी को नहीं डुबाता, परन्तु उसे इस बात की लज्जा होती है कि उसने लकड़ी को सींचकर ऊपर ला दिया;

ਜੈਸੇ ਤਉ ਕਰਤ ਸੁਤ ਅਨਿਕ ਇਆਨ ਪਨ ਤਊ ਨ ਜਨਨੀ ਅਵਗੁਨ ਉਰਧਾਰਿਓ ਹੈ ।
जैसे तउ करत सुत अनिक इआन पन तऊ न जननी अवगुन उरधारिओ है ।

जिस प्रकार एक बेटा अनेक गलतियाँ करता है, परन्तु उसे जन्म देने वाली उसकी माँ कभी उन गलतियों को नहीं बताती (फिर भी वह उससे प्रेम करती रहती है)।

ਜੈਸੇ ਤਉ ਸਰੰਨ ਸੂਰ ਪੂਰਨ ਪਰਤਗਿਆ ਰਾਖੈ ਲਖ ਅਪਰਾਧ ਕੀਏ ਮਾਰਿ ਨ ਬਿਡਾਰਿਓ ਹੈ ।
जैसे तउ सरंन सूर पूरन परतगिआ राखै लख अपराध कीए मारि न बिडारिओ है ।

जिस प्रकार अनेक दुर्गुणों से युक्त अपराधी को, जिसकी शरण में वह आया हो, वीर योद्धा नहीं मार सकता, बल्कि योद्धा उसकी रक्षा करता है और इस प्रकार उसके सद्गुणों को पूर्ण करता है।

ਤੈਸੇ ਹੀ ਪਰਮ ਗੁਰ ਪਾਰਸ ਪਰਸ ਗਤਿ ਸਿਖਨ ਕੋ ਕਿਰਤ ਕਰਮੁ ਕਛੂ ਨ ਬੀਚਾਰਿਓ ਹੈ ।੫੩੬।
तैसे ही परम गुर पारस परस गति सिखन को किरत करमु कछू न बीचारिओ है ।५३६।

इसी प्रकार परम दयालु सच्चा गुरु अपने सिखों के किसी भी दोष पर ध्यान नहीं देता। वह पारस पत्थर के स्पर्श के समान है (सच्चा गुरु अपने शरणागत सिखों के मैल को दूर कर उन्हें सोने के समान मूल्यवान और शुद्ध बना देता है)। (536)