कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 72


ਚਰਨ ਸਰਨਿ ਗੁਰ ਤੀਰਥ ਪੁਰਬ ਕੋਟਿ ਦੇਵੀ ਦੇਵ ਸੇਵ ਗੁਰ ਚਰਨਿ ਸਰਨ ਹੈ ।
चरन सरनि गुर तीरथ पुरब कोटि देवी देव सेव गुर चरनि सरन है ।

सच्चे गुरु की शरण लाखों तीर्थों की यात्रा के बराबर है। लाखों देवी-देवताओं की सेवा भी सच्चे गुरु की सेवा में रहने के बराबर है।

ਚਰਨ ਸਰਨਿ ਗੁਰ ਕਾਮਨਾ ਸਕਲ ਫਲ ਰਿਧਿ ਸਿਧਿ ਨਿਧਿ ਅਵਤਾਰ ਅਮਰਨ ਹੈ ।
चरन सरनि गुर कामना सकल फल रिधि सिधि निधि अवतार अमरन है ।

सच्चे गुरु की पवित्र शरण में सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। सभी चमत्कारी शक्तियां हमेशा मौजूद रहती हैं।

ਚਰਨ ਸਰਨਿ ਗੁਰ ਨਾਮ ਨਿਹਕਾਮ ਧਾਮ ਭਗਤਿ ਜੁਗਤਿ ਕਰਿ ਤਾਰਨ ਤਰਨ ਹੈ ।
चरन सरनि गुर नाम निहकाम धाम भगति जुगति करि तारन तरन है ।

सच्चे गुरु की शरण में रहकर बिना किसी फल की कामना के किया गया प्रभु के नाम का ध्यान संसार में सभी सुखों और शांति का स्थान है। एक समर्पित सिख नाम सिमरन में लीन हो जाता है और संसार रूपी सागर से पार हो जाता है।

ਚਰਨ ਸਰਨਿ ਗੁਰ ਮਹਿਮਾ ਅਗਾਧਿ ਬੋਧ ਹਰਨ ਭਰਨ ਗਤਿ ਕਾਰਨ ਕਰਨ ਹੈ ।੭੨।
चरन सरनि गुर महिमा अगाधि बोध हरन भरन गति कारन करन है ।७२।

सच्चे गुरु की शरण की महिमा अकल्पनीय है। वह सनातन प्रभु की तरह सभी नीच कर्मों और दोषों को नष्ट कर देती है तथा मनुष्य को सद्गुणों से भर देती है। (72)