सच्चे गुरु के प्रकाश की दिव्य चमक अद्भुत है। उस प्रकाश का एक छोटा सा हिस्सा भी सुंदर, अद्भुत और अनोखा है।
आँखों में देखने की शक्ति नहीं है, कानों में सुनने की शक्ति नहीं है और जीभ में उस दिव्य प्रकाश की सुन्दरता का वर्णन करने की शक्ति नहीं है। और न ही संसार में उसका वर्णन करने के लिए शब्द हैं।
असंख्य स्तुतियाँ, जगमगाते दीपों की रोशनी इस अलौकिक प्रकाश के आगे पर्दे के पीछे छिप जाती है।
उस दिव्य तेज की क्षणिक झलक ही मन की समस्त धारणाओं और विकल्पों का अन्त कर देती है। ऐसी झलक की महिमा अनन्त, अत्यन्त अद्भुत और अद्भुत है। अतः उन्हें बारम्बार नमस्कार करना चाहिए। (140)