नीचे की ओर बहने वाला जल सदैव शीतल और स्वच्छ रहता है। सभी के पैरों के नीचे जो धरती है, वह सभी सुखदायी और भोग्य वस्तुओं का भण्डार है।
चंदन का वृक्ष अपनी शाखाओं और पत्तियों के भार से मुरझाकर मानो प्रार्थना कर रहा हो, अपनी सुगंध फैलाता है और आस-पास की सभी वनस्पतियों को सुगंधित कर देता है।
शरीर के सभी अंगों में से, पृथ्वी पर स्थित तथा शरीर के सबसे निचले भाग में स्थित पैरों की पूजा की जाती है। सारा संसार पवित्र चरणों की अमृत तथा धूलि की अभिलाषा करता है।
इसी प्रकार भगवान के उपासक संसार में दीन-हीन मनुष्य बनकर रहते हैं। वे सांसारिक विषय-वासनाओं से अछूते होकर अनन्य प्रेम और भक्ति में स्थिर और अविचल रहते हैं। (290)