सृष्टिकर्ता-परमेश्वर की अद्भुत रचना का चित्र आश्चर्य और विस्मय से भरा है। हम उनके द्वारा बनाई गई एक छोटी सी चींटी के कार्यों का वर्णन भी नहीं कर सकते।
जरा देखिए कि कैसे हजारों चींटियाँ एक छोटे से बिल/छेद में व्यवस्थित हो जाती हैं।
वे सभी उसी रास्ते पर चलते हैं जो आगे चलने वाली चींटी ने तय किया है। जहाँ कहीं भी उन्हें मिठास की खुशबू आती है, वे सभी वहाँ पहुँच जाते हैं।
पंख वाले किसी कीट को देखकर वे उसकी जीवन-शैली अपना लेते हैं। जब हम एक छोटी-सी चींटी के चमत्कारों को नहीं जान पाते, तो उस सृष्टिकर्ता की अलौकिकता को कैसे जान सकते हैं, जिसने इस ब्रह्माण्ड में असंख्य वस्तुओं का निर्माण किया है? (274)