कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 491


ਪਾਨ ਕਪੂਰ ਲਉਂਗ ਚਰ ਕਾਗੈ ਆਗੈ ਰਾਖੈ ਬਿਸਟਾ ਬਿਗੰਧ ਖਾਤ ਅਧਿਕ ਸਿਯਾਨ ਕੈ ।
पान कपूर लउंग चर कागै आगै राखै बिसटा बिगंध खात अधिक सियान कै ।

यदि कौए के सामने पान, कपूर, लौंग आदि सुगंधित पदार्थ रख दिए जाएं तो भी वह बुद्धिमान होने के कारण गंदगी और दुर्गंध वाली चीजें खा लेगा।

ਬਾਰ ਬਾਰ ਸ੍ਵਾਨ ਜਉ ਪੈ ਗੰਗਾ ਇਸਨਾਨੁ ਕਰੈ ਟਰੈ ਨ ਕੁਟੇਵ ਦੇਵ ਹੋਤ ਨ ਅਗਿਆਨ ਕੈ ।
बार बार स्वान जउ पै गंगा इसनानु करै टरै न कुटेव देव होत न अगिआन कै ।

यदि कुत्ता गंगा नदी में बार-बार स्नान करे, तो भी वह बचा हुआ खाना खाने की अपनी बुरी आदत से छुटकारा नहीं पा सकता। इस मूर्खता के कारण वह दैवी स्वभाव का नहीं हो सकता।

ਸਾਪਹਿ ਪੈ ਪਾਨ ਮਿਸਟਾਨ ਮਹਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਕੈ ਉਗਲਤ ਕਾਲਕੂਟ ਹਉਮੈ ਅਭਿਮਾਨ ਕੈ ।
सापहि पै पान मिसटान महां अंम्रित कै उगलत कालकूट हउमै अभिमान कै ।

यदि साँप को बहुत मीठा दूध पिलाया जाए, तो भी वह घमंड में चूर होकर विष उगल देगा।

ਤੈਸੇ ਮਾਨਸਰ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਮਰਾਲ ਸਭਾ ਆਨ ਦੇਵ ਸੇਵਕ ਤਕਤ ਬਗੁ ਧਿਆਨ ਕੈ ।੪੯੧।
तैसे मानसर साधसंगति मराल सभा आन देव सेवक तकत बगु धिआन कै ।४९१।

इसी तरह मानसरोवर झील जैसी सभा गुरु के सिखों की सभा है जो वहां से मोती चुनते हैं। लेकिन अगर इस सभा में देवी-देवताओं का अनुयायी भी आ जाए तो वह दूसरों की संपत्ति को बुरी नजर से देखेगा और उनके धन-संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाएगा।