जिस प्रकार एक पत्नी अपने पति को आकर्षित करने के लिए अनेक प्रकार के श्रृंगार करती है, किन्तु पति के आलिंगन में आने के बाद उसे अपने गले का हार भी अच्छा नहीं लगता।
जिस प्रकार एक मासूम बच्चा बचपन में अनेक प्रकार के खेल खेलता है, लेकिन जैसे ही वह बड़ा होता है, वह अपने बचपन के सभी खेल भूल जाता है।
जैसे एक पत्नी अपनी सहेलियों के सामने अपने पति के साथ हुई मुलाकात की प्रशंसा करती है और उसकी सहेलियां उसकी बातें सुनकर प्रसन्न होती हैं।
इसी प्रकार ज्ञान प्राप्ति के लिए जो छः पुण्य कर्म बहुत परिश्रम से किये जाते हैं, वे सब गुरु के उपदेश और नाम के तेज से लुप्त हो जाते हैं, जैसे सूर्य के तेज से तारे लुप्त हो जाते हैं। (ये सभी तथाकथित पुण्य कर्म गुरु के उपदेश और नाम के तेज से लुप्त हो जाते हैं।)