कबित सव्ये भाई गुरदास जी

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ਜੈਸੇ ਬਿਬਿਧ ਪ੍ਰਕਾਰ ਕਰਤ ਸਿੰਗਾਰ ਨਾਰਿ ਭੇਟਤ ਭਤਾਰ ਉਰ ਹਾਰ ਨ ਸੁਹਾਤ ਹੈ ।
जैसे बिबिध प्रकार करत सिंगार नारि भेटत भतार उर हार न सुहात है ।

जिस प्रकार एक पत्नी अपने पति को आकर्षित करने के लिए अनेक प्रकार के श्रृंगार करती है, किन्तु पति के आलिंगन में आने के बाद उसे अपने गले का हार भी अच्छा नहीं लगता।

ਬਾਲਕ ਅਚੇਤ ਜੈਸੇ ਕਰਤ ਅਨੇਕ ਲੀਲਾ ਸੁਰਤ ਸਮਾਰ ਬਾਲ ਬੁਧਿ ਬਿਸਰਾਤ ਹੈ ।
बालक अचेत जैसे करत अनेक लीला सुरत समार बाल बुधि बिसरात है ।

जिस प्रकार एक मासूम बच्चा बचपन में अनेक प्रकार के खेल खेलता है, लेकिन जैसे ही वह बड़ा होता है, वह अपने बचपन के सभी खेल भूल जाता है।

ਜੈਸੇ ਪ੍ਰਿਯਾ ਸੰਗਮ ਸੁਜਸ ਨਾਯਕਾ ਬਖਾਨੈ ਸੁਨ ਸੁਨ ਸਜਨੀ ਸਕਲ ਬਿਗਸਾਤ ਹੈ ।
जैसे प्रिया संगम सुजस नायका बखानै सुन सुन सजनी सकल बिगसात है ।

जैसे एक पत्नी अपनी सहेलियों के सामने अपने पति के साथ हुई मुलाकात की प्रशंसा करती है और उसकी सहेलियां उसकी बातें सुनकर प्रसन्न होती हैं।

ਤੈਸੇ ਖਟ ਕਰਮ ਧਰਮ ਸ੍ਰਮ ਗਯਾਨ ਕਾਜ ਗਯਾਨ ਭਾਨੁ ਉਦੈ ਉਡਿ ਕਰਮ ਉਡਾਤ ਹੈ ।੬੦੪।
तैसे खट करम धरम स्रम गयान काज गयान भानु उदै उडि करम उडात है ।६०४।

इसी प्रकार ज्ञान प्राप्ति के लिए जो छः पुण्य कर्म बहुत परिश्रम से किये जाते हैं, वे सब गुरु के उपदेश और नाम के तेज से लुप्त हो जाते हैं, जैसे सूर्य के तेज से तारे लुप्त हो जाते हैं। (ये सभी तथाकथित पुण्य कर्म गुरु के उपदेश और नाम के तेज से लुप्त हो जाते हैं।)