जैसे सोते समय किसी के घर में आग लग जाए और वह उठकर कुआं खोदने लगे, लेकिन वह आग बुझाने में सफल नहीं हो पाता, बल्कि फिर पछताता है और रोता है।
जैसे युद्ध के समय कोई युद्धकला सीखना चाहे, तो वह व्यर्थ प्रयास है। विजय प्राप्त नहीं हो सकती।
जैसे एक यात्री रात्रि में सो जाता है और उसके सभी साथी उसे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं, तो दिन निकलने पर वह अपना सारा सामान लेकर कहां जाएगा?
इसी प्रकार अज्ञानी मनुष्य सांसारिक मोह-माया में उलझकर धन-संपत्ति बटोरने में ही अपना जीवन व्यतीत कर देता है। वह अन्तिम साँसों में भगवान् के नाम में अपना मन कैसे लगा सकता है? (४९५)