कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 495


ਜੈਸੇ ਘਰਿ ਲਾਗੈ ਆਗਿ ਜਾਗਿ ਕੂਆ ਖੋਦਿਓ ਚਾਹੈ ਕਾਰਜ ਨ ਸਿਧਿ ਹੋਇ ਰੋਇ ਪਛੁਤਾਈਐ ।
जैसे घरि लागै आगि जागि कूआ खोदिओ चाहै कारज न सिधि होइ रोइ पछुताईऐ ।

जैसे सोते समय किसी के घर में आग लग जाए और वह उठकर कुआं खोदने लगे, लेकिन वह आग बुझाने में सफल नहीं हो पाता, बल्कि फिर पछताता है और रोता है।

ਜੈਸੇ ਤਉ ਸੰਗ੍ਰਾਮ ਸਮੈ ਸੀਖਿਓ ਚਾਹੈ ਬੀਰ ਬਿਦਿਆ ਅਨਿਥਾ ਉਦਮ ਜੈਤ ਪਦਵੀ ਨ ਪਾਈਐ ।
जैसे तउ संग्राम समै सीखिओ चाहै बीर बिदिआ अनिथा उदम जैत पदवी न पाईऐ ।

जैसे युद्ध के समय कोई युद्धकला सीखना चाहे, तो वह व्यर्थ प्रयास है। विजय प्राप्त नहीं हो सकती।

ਜੈਸੇ ਨਿਸਿ ਸੋਵਤ ਸੰਗਾਤੀ ਚਲਿ ਜਾਤਿ ਪਾਛੇ ਭੋਰ ਭਏ ਭਾਰ ਬਾਧ ਚਲੇ ਕਤ ਜਾਈਐ ।
जैसे निसि सोवत संगाती चलि जाति पाछे भोर भए भार बाध चले कत जाईऐ ।

जैसे एक यात्री रात्रि में सो जाता है और उसके सभी साथी उसे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं, तो दिन निकलने पर वह अपना सारा सामान लेकर कहां जाएगा?

ਤੈਸੇ ਮਾਇਆ ਧੰਧ ਅੰਧ ਅਵਧਿ ਬਿਹਾਇ ਜਾਇ ਅੰਤਕਾਲ ਕੈਸੇ ਹਰਿ ਨਾਮ ਲਿਵ ਲਾਈਐ ।੪੯੫।
तैसे माइआ धंध अंध अवधि बिहाइ जाइ अंतकाल कैसे हरि नाम लिव लाईऐ ।४९५।

इसी प्रकार अज्ञानी मनुष्य सांसारिक मोह-माया में उलझकर धन-संपत्ति बटोरने में ही अपना जीवन व्यतीत कर देता है। वह अन्तिम साँसों में भगवान् के नाम में अपना मन कैसे लगा सकता है? (४९५)