कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 69


ਜੈਸੇ ਨਾਉ ਬੂਡਤ ਸੈ ਜੋਈ ਨਿਕਸੈ ਸੋਈ ਭਲੋ ਬੂਡਿ ਗਏ ਪਾਛੇ ਪਛਤਾਇਓ ਰਹਿ ਜਾਤ ਹੈ ।
जैसे नाउ बूडत सै जोई निकसै सोई भलो बूडि गए पाछे पछताइओ रहि जात है ।

धन्य हैं वे लोग जो पलटती हुई नाव से बच जाते हैं। अगर डूब गए तो पश्चाताप के अलावा कुछ नहीं होगा।

ਜੈਸੇ ਘਰ ਲਾਗੇ ਆਗਿ ਜੋਈ ਬਚੈ ਸੋਈ ਭਲੋ ਜਰਿ ਬੁਝੇ ਪਾਛੇ ਕਛੁ ਬਸੁ ਨ ਬਸਾਤ ਹੈ ।
जैसे घर लागे आगि जोई बचै सोई भलो जरि बुझे पाछे कछु बसु न बसात है ।

जो लोग जलते हुए घर से बच निकलते हैं वे धन्य हैं। अगर कोई जलकर राख हो जाए तो कुछ नहीं किया जा सकता।

ਜੈਸੇ ਚੋਰ ਲਾਗੇ ਜਾਗੇ ਜੋਈ ਰਹੈ ਸੋਈ ਭਲੋ ਸੋਇ ਗਏ ਰੀਤੋ ਘਰ ਦੇਖੈ ਉਠਿ ਪ੍ਰਾਤ ਹੈ ।
जैसे चोर लागे जागे जोई रहै सोई भलो सोइ गए रीतो घर देखै उठि प्रात है ।

जैसे चोर जब चोरी कर रहा हो, तब जागने पर जो कुछ चोर पीछे छोड़ जाता है, वही बोनस और आशीर्वाद है। अन्यथा सुबह घर खाली मिलता है।

ਤੈਸੇ ਅੰਤ ਕਾਲ ਗੁਰ ਚਰਨ ਸਰਨਿ ਆਵੈ ਪਾਵੈ ਮੋਖ ਪਦਵੀ ਨਾਤਰ ਬਿਲਲਾਤ ਹੈ ।੬੯।
तैसे अंत काल गुर चरन सरनि आवै पावै मोख पदवी नातर बिललात है ।६९।

इसी प्रकार यदि कोई भटका हुआ व्यक्ति जीवन के अंतिम समय में भी गुरु की शरण में आ जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है, अन्यथा वह मृत्यु के दूतों के हाथों में पड़कर विलाप करता रहेगा। (६९)