जिस प्रकार अपनी मां से बिछड़ा हुआ बछड़ा दूसरी गाय के थनों से दूध पीने के लिए दौड़ता है, और गाय उसे दूध पीने से मना कर देती है तथा उसे लात मारकर भगा देती है।
जिस प्रकार मानसरोवर झील को छोड़कर हंस किसी अन्य झील पर चला जाता है, तथा वहां से उसे खाने के लिए मोती नहीं मिल पाते।
जिस प्रकार राजा के द्वार पर पहरा देने वाला दूसरे के द्वार पर सेवा करने लगता है, उससे उसके गौरव को ठेस पहुंचती है तथा उसके वैभव और वैभव में किसी भी प्रकार की कोई वृद्धि नहीं होती।
इसी प्रकार यदि कोई गुरुभक्त शिष्य अपने गुरु की शरण छोड़कर अन्य देवी-देवताओं की शरण में चला जाए तो उसे वहां रहना सार्थक नहीं लगता और न ही कोई भी उसे कलंकित पापी मानकर उसके प्रति आदर व सम्मान प्रदर्शित करेगा।