कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 441


ਜੈਸੇ ਬਛੁਰਾ ਬਿਛੁਰ ਪਰੈ ਆਨ ਗਾਇ ਥਨ ਦੁਗਧ ਨ ਪਾਨ ਕਰੈ ਮਾਰਤ ਹੈ ਲਾਤ ਕੀ ।
जैसे बछुरा बिछुर परै आन गाइ थन दुगध न पान करै मारत है लात की ।

जिस प्रकार अपनी मां से बिछड़ा हुआ बछड़ा दूसरी गाय के थनों से दूध पीने के लिए दौड़ता है, और गाय उसे दूध पीने से मना कर देती है तथा उसे लात मारकर भगा देती है।

ਜੈਸੇ ਮਾਨਸਰ ਤਿਆਗਿ ਹੰਸ ਆਨਸਰ ਜਾਤ ਖਾਤ ਨ ਮੁਕਤਾਫਲ ਭੁਗਤ ਜੁਗਾਤ ਕੀ ।
जैसे मानसर तिआगि हंस आनसर जात खात न मुकताफल भुगत जुगात की ।

जिस प्रकार मानसरोवर झील को छोड़कर हंस किसी अन्य झील पर चला जाता है, तथा वहां से उसे खाने के लिए मोती नहीं मिल पाते।

ਜੈਸੇ ਰਾਜ ਦੁਆਰ ਤਜਿ ਆਨ ਦੁਆਰ ਜਾਤ ਜਨ ਹੋਤ ਮਾਨੁ ਭੰਗੁ ਮਹਿਮਾ ਨ ਕਾਹੂ ਬਾਤ ਕੀ ।
जैसे राज दुआर तजि आन दुआर जात जन होत मानु भंगु महिमा न काहू बात की ।

जिस प्रकार राजा के द्वार पर पहरा देने वाला दूसरे के द्वार पर सेवा करने लगता है, उससे उसके गौरव को ठेस पहुंचती है तथा उसके वैभव और वैभव में किसी भी प्रकार की कोई वृद्धि नहीं होती।

ਤੈਸੇ ਗੁਰਸਿਖ ਆਨ ਦੇਵ ਕੀ ਸਰਨ ਜਾਹਿ ਰਹਿਓ ਨ ਪਰਤ ਰਾਖਿ ਸਕਤ ਨ ਪਾਤ ਕੀ ।੪੪੧।
तैसे गुरसिख आन देव की सरन जाहि रहिओ न परत राखि सकत न पात की ।४४१।

इसी प्रकार यदि कोई गुरुभक्त शिष्य अपने गुरु की शरण छोड़कर अन्य देवी-देवताओं की शरण में चला जाए तो उसे वहां रहना सार्थक नहीं लगता और न ही कोई भी उसे कलंकित पापी मानकर उसके प्रति आदर व सम्मान प्रदर्शित करेगा।