कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 389


ਛਤ੍ਰ ਕੇ ਬਦਲੇ ਜੈਸੇ ਬੈਠੇ ਛਤਨਾ ਕੀ ਛਾਂਹ ਹੀਰਾ ਅਮੋਲਕ ਬਦਲੇ ਫਟਕ ਕਉ ਪਾਈਐ ।
छत्र के बदले जैसे बैठे छतना की छांह हीरा अमोलक बदले फटक कउ पाईऐ ।

शाही छत्र को छोड़कर एक छोटी सी छतरी के नीचे बैठना और हीरे के स्थान पर कांच का क्रिस्टल धारण करना मूर्खतापूर्ण कार्य होगा।

ਜੈਸੇ ਮਨ ਕੰਚਨ ਕੇ ਬਦਲੇ ਕਾਚੁ ਗੁੰਜਾਫਲੁ ਕਾਬਰੀ ਪਟੰਬਰ ਕੇ ਬਦਲੇ ਓਢਾਈਐ ।
जैसे मन कंचन के बदले काचु गुंजाफलु काबरी पटंबर के बदले ओढाईऐ ।

माणिक के स्थान पर कांच के टुकड़े, सोने के स्थान पर अब्रस प्रीकेटोरियस के बीज स्वीकार करना या रेशमी वस्त्र के स्थान पर फटा हुआ कंबल पहनना नीच बुद्धि का संकेत होगा।

ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਮਿਸਟਾਨ ਪਾਨ ਕੇ ਬਦਲੇ ਕਰੀਫਲ ਕੇਸਰ ਕਪੂਰ ਜਿਉ ਕਚੂਰ ਲੈ ਲਗਾਈਐ ।
अंम्रित मिसटान पान के बदले करीफल केसर कपूर जिउ कचूर लै लगाईऐ ।

स्वादिष्ट भोजन छोड़कर यदि कोई बबूल के फीके फल खाए, तथा सुगंधित केसर और कपूर के स्थान पर जंगली हल्दी का लेप लगाए, तो यह पूर्णतया अज्ञानता का कार्य होगा।

ਭੇਟਤ ਅਸਾਧ ਸੁਖ ਸੁਕ੍ਰਿਤ ਸੂਖਮ ਹੋਤ ਸਾਗਰ ਅਥਾਹ ਜੈਸੇ ਬੇਲੀ ਮੈ ਸਮਾਈਐ ।੩੮੯।
भेटत असाध सुख सुक्रित सूखम होत सागर अथाह जैसे बेली मै समाईऐ ।३८९।

इसी प्रकार दुष्ट और पापी व्यक्ति के साथ मिलकर सभी सुख और अच्छे कर्म ऐसे सिमट जाते हैं जैसे सागर एक छोटे प्याले के आकार का रह गया हो। (389)