कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 151


ਸਤਿਗੁਰ ਸਤਿ ਸਤਿਗੁਰ ਕੇ ਸਬਦ ਸਤਿ ਸਤਿ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਹੈ ਗੁਰਮੁਖਿ ਜਾਨੀਐ ।
सतिगुर सति सतिगुर के सबद सति सति साधसंगति है गुरमुखि जानीऐ ।

सच्चा प्रभु (सतगुरु) सत्य है। उसका वचन सत्य है। उसकी पवित्र संगत सत्य है, लेकिन यह सत्य तभी महसूस होता है जब कोई सच्चे प्रभु (सतगुरु) के सामने खुद को प्रस्तुत करता है।

ਦਰਸਨ ਧਿਆਨ ਸਤਿ ਸਬਦ ਸੁਰਤਿ ਸਤਿ ਗੁਰਸਿਖ ਸੰਗ ਸਤਿ ਸਤਿ ਕਰ ਮਾਨੀਐ ।
दरसन धिआन सति सबद सुरति सति गुरसिख संग सति सति कर मानीऐ ।

उनके दर्शन का चिंतन ही सत्य है। गुरु के वचन के साथ चेतना का मिलन ही सत्य है। गुरु के सिखों की संगति ही सत्य है, लेकिन यह सारी वास्तविकता केवल आज्ञाकारी सिख बनकर ही स्वीकार की जा सकती है।

ਦਰਸ ਬ੍ਰਹਮ ਧਿਆਨ ਸਬਦ ਬ੍ਰਹਮ ਗਿਆਨ ਸੰਗਤਿ ਬ੍ਰਹਮਥਾਨ ਪ੍ਰੇਮ ਪਹਿਚਾਨੀਐ ।
दरस ब्रहम धिआन सबद ब्रहम गिआन संगति ब्रहमथान प्रेम पहिचानीऐ ।

सच्चे गुरु का दर्शन भगवान के दर्शन और ध्यान के समान है। सच्चे गुरु का उपदेश दिव्य ज्ञान है। सच्चे गुरु के सिखों का समूह भगवान का निवास है। लेकिन यह सत्य तभी महसूस किया जा सकता है जब मन में प्रेम बसता है।

ਸਤਿਰੂਪ ਸਤਿਨਾਮ ਸਤਿਗੁਰ ਗਿਆਨ ਧਿਆਨ ਕਾਮ ਨਿਹਕਾਮ ਉਨਮਨ ਉਨਮਾਨੀਐ ।੧੫੧।
सतिरूप सतिनाम सतिगुर गिआन धिआन काम निहकाम उनमन उनमानीऐ ।१५१।

सच्चे प्रभु के शाश्वत और सच्चे नाम का स्मरण ही सच्चे गुरु का चिंतन और जागरूकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब सभी वासनाओं और सांसारिक इच्छाओं से मुक्त होकर आत्मा को उच्चतर स्तर पर ले जाया जाए। (151)