कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 142


ਦਰਸਨ ਜੋਤਿ ਕੋ ਉਦੋਤ ਅਸਚਰਜ ਮੈ ਕਿੰਚਤ ਕਟਾਛ ਕੈ ਬਿਸਮ ਕੋਟਿ ਧਿਆਨ ਹੈ ।
दरसन जोति को उदोत असचरज मै किंचत कटाछ कै बिसम कोटि धिआन है ।

सच्चे गुरु की दिव्य चमक का दर्शन विस्मय से भरा होता है। सच्चे गुरु की कृपा की एक क्षणिक झलक लाखों चिंतन को चकित कर देती है।

ਮੰਦ ਮੁਸਕਾਨਿ ਬਾਨਿ ਪਰਮਦਭੁਤਿ ਗਤਿ ਮਧੁਰ ਬਚਨ ਕੈ ਥਕਤ ਕੋਟਿ ਗਿਆਨ ਹੈ ।
मंद मुसकानि बानि परमदभुति गति मधुर बचन कै थकत कोटि गिआन है ।

सच्चे गुरु का मधुर मुस्कान वाला स्वभाव अद्भुत है। उनके अमृतमय वचनों के सामने लाखों समझ और अनुभूतियाँ तुच्छ हैं।

ਏਕ ਉਪਕਾਰ ਕੇ ਬਿਥਾਰ ਕੋ ਨ ਪਾਰਾਵਾਰੁ ਕੋਟਿ ਉਪਕਾਰ ਸਿਮਰਨ ਉਨਮਾਨ ਹੈ ।
एक उपकार के बिथार को न पारावारु कोटि उपकार सिमरन उनमान है ।

सच्चे गुरु के आशीर्वाद की महिमा अथाह है, इसलिए अन्य अच्छे कर्मों को याद करना तुच्छ और निरर्थक है।

ਦਇਆਨਿਧਿ ਕ੍ਰਿਪਾਨਿਧਿ ਸੁਖਨਿਧਿ ਸੋਭਾਨਿਧਿ ਮਹਿਮਾ ਨਿਧਾਨ ਗੰਮਿਤਾ ਨ ਕਾਹੂ ਆਨ ਹੈ ।੧੪੨।
दइआनिधि क्रिपानिधि सुखनिधि सोभानिधि महिमा निधान गंमिता न काहू आन है ।१४२।

वह दया का भण्डार, दया का सागर, सुख-सुविधाओं का सागर है। वह प्रशंसा का ऐसा विशाल भण्डार और ऐश्वर्य का ऐसा भण्डार है कि कोई दूसरा उस तक नहीं पहुँच सकता। (142)