सच्चे गुरु की दिव्य चमक का दर्शन विस्मय से भरा होता है। सच्चे गुरु की कृपा की एक क्षणिक झलक लाखों चिंतन को चकित कर देती है।
सच्चे गुरु का मधुर मुस्कान वाला स्वभाव अद्भुत है। उनके अमृतमय वचनों के सामने लाखों समझ और अनुभूतियाँ तुच्छ हैं।
सच्चे गुरु के आशीर्वाद की महिमा अथाह है, इसलिए अन्य अच्छे कर्मों को याद करना तुच्छ और निरर्थक है।
वह दया का भण्डार, दया का सागर, सुख-सुविधाओं का सागर है। वह प्रशंसा का ऐसा विशाल भण्डार और ऐश्वर्य का ऐसा भण्डार है कि कोई दूसरा उस तक नहीं पहुँच सकता। (142)