एक हंसता हुआ व्यक्ति एक खुश और हंसते हुए व्यक्ति से ऐसी कई बातें पूछता है जिससे उसे हंसी आ सके। इसी तरह एक रोता हुआ व्यक्ति दूसरे रोते हुए व्यक्ति से ऐसी बातें पूछता है जिससे उसे हंसी आ सके।
एक स्थिर व्यक्ति दूसरे स्थिर व्यक्ति के साथ स्थिर होने के साधन साझा करेगा। एक मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति दूसरे से सही मार्ग के बारे में पूछेगा, ऐसी बातें जो उसे सही मार्ग पर ले जाएँगी।
सांसारिक व्यक्ति दूसरे सांसारिक व्यक्तियों से सांसारिक विषयों के विभिन्न पहलुओं के बारे में पूछता है। वेदों का अध्ययन करने वाला व्यक्ति वेदों के ज्ञान वाले दूसरे व्यक्ति से वेदों के बारे में पूछता है।
उपरोक्त सभी बातें व्यक्ति की व्यसन-तृप्ति तो करती हैं, परन्तु ऐसी बकवासों से किसी का जन्म-मरण चक्र समाप्त नहीं हो पाया है। जो लोग अपना ध्यान भगवान के श्रीचरणों में लगाते हैं, वे ही गुरु के आज्ञाकारी शिष्य इस व्यसन को समाप्त करने में समर्थ होते हैं।