पवित्र समागम में मन और गुरुवाणी का मिलन प्राप्त करने वाले गुरुचेतन व्यक्ति की महिमा पर लाखों लोग आश्चर्यचकित हो रहे हैं। लाखों समाधिस्थ लोग आश्चर्यचकित और अचंभित हो रहे हैं।
लाखों विचित्रताएं आश्चर्यचकित हो रही हैं। लाखों धुनें चेतना में शब्द की अखंडित धुन सुनकर आनंद और उल्लास का अनुभव कर रही हैं।
शब्द और चेतना की संयुक्त अवस्था की तल्लीनता के परमानंद के आगे ज्ञान की लाखों अवस्थाएं निरर्थक हो जाती हैं।
गुरु-प्रधान व्यक्ति संत पुरुषों की संगति में गुरु के आशीर्वादपूर्ण वचनों को अपनी चेतना में समाहित करने का अभ्यास करता है। वह अपना मन उस ईश्वर पर केन्द्रित करता है जो अनंत और अनादि है। (250)