गुरु-चेतना वाला व्यक्ति गुरु की शिक्षाओं का पालन करके मन की भटकन को रोकने में सक्षम होता है। इस प्रकार वह स्थिर, शांतिपूर्ण और संतुलन की स्थिति में रहने में सक्षम होता है।
सच्चे गुरु की शरण में आकर तथा उनके चरणों की पवित्र धूलि का अनुभव करके गुरु-चेतना प्राप्त व्यक्ति कांतिमय हो जाता है। सच्चे गुरु की एक झलक पाकर वह सभी जीवों के साथ समान व्यवहार करने का दुर्लभ गुण प्राप्त कर लेता है।
गुरु की शिक्षाओं का चेतना के साथ मिलन होने तथा नाम में लीन होने से उसका अहंकार और अहंकार नष्ट हो जाता है। नाम सिमरन की मधुर धुन सुनकर उसे अद्भुत स्थिति का अनुभव होता है।
गुरु की अगम्य शिक्षाओं को मन में धारण करने से गुरु-चेतना वाला व्यक्ति भगवान के समक्ष अपने जीवन का लेखा-जोखा देने से मुक्त हो जाता है। सच्चे गुरु की परिक्रमा करने से उसे आध्यात्मिक सुख प्राप्त होता है। वह विनम्रता से जीवन व्यतीत करते हुए भगवान का सेवक बनकर सेवा करता है।