जिस प्रकार एक बबूल के पेड़ के पत्ते उसके आस-पास उगने वाले कांटों से टूट जाते हैं, उसी प्रकार वह स्वयं को क्षति पहुंचाए बिना कांटों की पकड़ से मुक्त नहीं हो सकता।
जिस प्रकार एक तोता छोटे पिंजरे में बहुत कुछ सीखता है, लेकिन उस पर एक बिल्ली की नजर रहती है जो एक दिन उसे पकड़कर खा जाती है।
जैसे मछली पानी में रहकर खुश रहती है, लेकिन जब कोई मछुआरा मजबूत धागे के अंत में बंधा चारा फेंकता है तो मछली उसे खाने के लिए ललचा जाती है। जब मछली चारा काटती है, तो वह हुक को भी काटती है, जिससे मछुआरे को उसे बाहर निकालने में आसानी होती है।
इसी प्रकार ईश्वर-सदृश सच्चे गुरु से मिले बिना और नीच लोगों की संगति में रहने से मनुष्य नीच ज्ञान प्राप्त करता है जो उसके मृत्यु के दूतों के हाथों में पड़ने का कारण बनता है। (634)