मैंने स्नान करके, सुन्दर वस्त्र पहनकर, आँखों में काजल लगाकर, पान खाकर तथा भाँति-भाँति के आभूषणों से श्रृंगार करके अपने प्रभु का बिस्तर बिछा दिया है। (मैंने अपने प्रियतम प्रभु से मिलन के लिए अपने आपको तैयार कर लिया है।)
सुंदर बिस्तर को सुगंधित फूलों से सजाया गया है और सुंदर कमरा उज्ज्वल प्रकाश से जगमगा रहा है।
मुझे यह मानव जन्म भगवान से मिलन के लिए बहुत प्रयास के बाद मिला है। (इस शुभ अवस्था तक पहुँचने के लिए मुझे कई जन्मों से गुजरना पड़ा है)।
परन्तु घृणित अज्ञान की निद्रा में ईश्वर से मिलन के लिए अनुकूल नक्षत्र स्थिति के इस अवसर को खो देने पर, जागने पर ही मनुष्य को पश्चाताप होगा (क्योंकि तब तक बहुत देर हो चुकी होगी)। (658)