कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 603


ਜੈਸੇ ਜਲ ਮਿਲ ਦ੍ਰੁਮ ਸਫਲ ਨਾਨਾ ਪ੍ਰਕਾਰ ਚੰਦਨ ਮਿਲਤ ਸਬ ਚੰਦਨ ਸੁਬਾਸ ਹੈ ।
जैसे जल मिल द्रुम सफल नाना प्रकार चंदन मिलत सब चंदन सुबास है ।

जिस प्रकार सभी पेड़-पौधे जल के साथ मिलकर अनेक प्रकार के फल-फूल उत्पन्न करते हैं, उसी प्रकार चंदन के साथ मिलकर समस्त वनस्पतियां चंदन के समान सुगंधित हो जाती हैं।

ਜੈਸੇ ਮਿਲ ਪਾਵਕ ਢਰਤ ਪੁਨ ਸੋਈ ਧਾਤ ਪਾਰਸ ਪਰਸ ਰੂਪ ਕੰਚਨ ਪ੍ਰਕਾਸ ਹੈ ।
जैसे मिल पावक ढरत पुन सोई धात पारस परस रूप कंचन प्रकास है ।

जैसे अग्नि के संपर्क से अनेक धातुएं पिघल जाती हैं और ठंडी होने पर भी वही धातु बनी रहती है, किन्तु पारस पत्थर से स्पर्श कराने पर वही धातु सोना बन जाती है।

ਅਵਰ ਨਖਤ੍ਰ ਬਰਖਤ ਜਲ ਜਲਮਈ ਸ੍ਵਾਂਤਿ ਬੂੰਦ ਸਿੰਧ ਮਿਲ ਮੁਕਤਾ ਬਿਗਾਸ ਹੈ ।
अवर नखत्र बरखत जल जलमई स्वांति बूंद सिंध मिल मुकता बिगास है ।

जिस प्रकार तारों और ग्रहों की स्थिति के अनुसार विशिष्ट अवधि (नक्षत्र) के बाहर होने वाली वर्षा केवल पानी की बूंदों का गिरना है, लेकिन जब स्वाति नक्षत्र के दौरान बारिश होती है, और एक बूंद समुद्र में सीप पर गिरती है, तो वह मोती बन जाती है।

ਤੈਸੇ ਪਰਵਿਰਤ ਔ ਨਿਵਿਰਤ ਜੋ ਸ੍ਵਭਾਵ ਦੋਊ ਗੁਰ ਮਿਲ ਸੰਸਾਰੀ ਨਿਰੰਕਾਰੀ ਅਭਿਆਸੁ ਹੈ ।੬੦੩।
तैसे परविरत औ निविरत जो स्वभाव दोऊ गुर मिल संसारी निरंकारी अभिआसु है ।६०३।

इसी प्रकार संसार में माया में लीन होना और माया के प्रभाव से मुक्त होना ये दो प्रवृत्तियाँ हैं। परन्तु जो जिस भाव और प्रवृत्ति से सच्चे गुरु के पास जाता है, उसके अनुसार ही वह सांसारिक या दैवी गुण प्राप्त करता है। (603)