जिस प्रकार माता-पिता अपने बेटे की गलतियों पर ध्यान नहीं देते तथा उसे सुखी एवं सुखद वातावरण में पालते हैं।
जिस प्रकार दर्द से पीड़ित रोगी चिकित्सक को अपनी व्यथा बताता है, उसके स्वास्थ्य के प्रति उसकी लापरवाही को नजरअंदाज करके चिकित्सक भी पूरी जांच-पड़ताल करने के बाद प्रेमपूर्वक औषधि देता है,
जिस प्रकार विद्यालय में अनेक विद्यार्थी होते हैं, शिक्षक उनकी बचकानी शरारतों और उपद्रवों पर ध्यान नहीं देता, बल्कि उन्हें ज्ञानवान बनाने के लिए समर्पित भाव से शिक्षा देता है।
इसी प्रकार सच्चे गुरु अपनी शरण में आए सिखों को दिव्य ज्ञान और उच्च संतुलन की अवस्था प्रदान करते हैं, जिससे उनके अज्ञानता में किए गए बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं। (378)