जैसे सूर्य की किरणों के सामने रखा गया आवर्धक लेंस आग पैदा करता है।
जिस प्रकार पृथ्वी वर्षा से सुन्दर लगती है और अच्छे मित्र की भांति फल-फूल उत्पन्न करती है।
जिस प्रकार एक सुसज्जित और सुशोभित स्त्री का अपने पति के साथ संयोग होने पर पुत्र उत्पन्न होता है और पत्नी अत्यन्त प्रसन्न होती है।
इसी प्रकार गुरु का आज्ञाकारी शिष्य सच्चे गुरु के दर्शन पाकर प्रसन्न होता है, खिल उठता है और अपने सच्चे गुरु से दिव्य ज्ञान का भण्डार तथा नाम सिमरन का अभिषेक पाकर पवित्र व्यक्ति बन जाता है। (394)