जैसे बांझ स्त्री और नपुंसक पुरुष संतान उत्पन्न नहीं कर सकते, तथा जल को मथने से मक्खन नहीं निकल सकता।
जैसे दूध पिलाने से नाग का विष नष्ट नहीं होता तथा मूली खाने से मुंह से अच्छी गंध नहीं आती।
जिस प्रकार गंदगी खाने वाला कौआ मानसरोवर झील पर पहुंचकर दुखी हो जाता है, क्योंकि उसे वह गंदगी नहीं मिलती, जिसे खाने का वह आदी है; उसी प्रकार गधे को भी यदि सुगंधियों से नहलाया जाए, तो वह धूल में लोटने लगता है।
इसी प्रकार अन्य देवताओं के सेवक भी सच्चे गुरु की सेवा का आनन्द नहीं पा सकते, क्योंकि भगवान के अनुयायियों की पुरानी और बुरी आदतें नष्ट नहीं हो सकतीं। (४४५)