गुरु और गुरु-पुरुषों के मिलन का महत्व असीम है। सिख के हृदय में गुरु के प्रति अगाध प्रेम होने के कारण ही उसमें दिव्य प्रकाश चमकता है।
सच्चे गुरु की सुन्दरता, उनके रूप, रंग और अंग-अंग की छवि को देखकर गुरु-प्रेमी व्यक्ति की आंखें चकित हो जाती हैं तथा उसके मन में सच्चे गुरु के दर्शन और दर्शन की लालसा भी उत्पन्न होती है।
गुरु के वचनों पर ध्यान के अटूट अभ्यास से रहस्यमय दशम द्वार में एक मधुर और मधुर संगीत की ध्वनि प्रकट होती है। इसे निरंतर सुनने से वह समाधि की स्थिति में रहता है।
सच्चे गुरु पर अपनी दृष्टि केन्द्रित करके तथा मन को गुरु की शिक्षाओं और उपदेशों में लीन रखकर, वह पूर्ण और सम्पूर्ण उत्कर्ष की अवस्था प्राप्त कर लेता है। (284)