अगर कोई कपड़ा व्यापारी ऐसी जगह जाए जहाँ हर कोई नंगा रहता हो तो उसे कोई फायदा नहीं होगा। उसे अपना मूल माल भी गँवाना पड़ सकता है।
यदि कोई व्यक्ति अंधे से रत्न-परखने की विद्या सीखना चाहे या दरिद्र से राज्य मांगना चाहे तो यह उसकी मूर्खता और भूल होगी।
यदि कोई गूंगे व्यक्ति से ज्योतिष विद्या सीखना चाहे या वेदों का ज्ञान प्राप्त करना चाहे या बहरे व्यक्ति से संगीत के बारे में जानना चाहे तो यह पूरी तरह मूर्खतापूर्ण प्रयास होगा।
इसी प्रकार यदि कोई अन्य देवी-देवताओं की सेवा-पूजा करके अपने पापों से छुटकारा पाने का प्रयत्न करता है, तथा मोक्ष प्राप्त करना चाहता है, तो यह मूर्खता का कार्य होगा। सच्चे गुरु से सत्यनाम दीक्षा लिए बिना वह केवल कष्ट ही भोगेगा।