तोता पकड़ने वाला एक घूमता हुआ पाइप/ट्यूब लगाता है जिस पर एक तोता आकर बैठ जाता है। पाइप घूमता है और तोता उल्टा लटक जाता है। वह पाइप को नहीं छोड़ता। फिर तोता पकड़ने वाला आता है और उसके पंजे छुड़ा देता है। इस तरह वह गुलाम बन जाता है।
जैसे-जैसे तोते को प्रशिक्षित किया जाता है और उसे शब्द बोलना सिखाया जाता है, वह बार-बार उन शब्दों को बोलता है। वह अपना नाम बोलना सीखता है और दूसरों को भी यह सिखाता है।
तोता राम के भक्तों से राम का नाम लेना सीखता है। दुष्टों और अधर्मियों से वह बुरे नाम सीखता है। यूनानियों की संगति में वह उनकी भाषा सीखता है। वह जिस संगति में रहता है, उसके अनुसार उसकी बुद्धि विकसित होती है।
इसी प्रकार पवित्र पुरुषों की संगति में तथा सद्गुरु के चरण-कमलों की शरण में आकर सिख अपने गुरु की उपस्थिति में आत्म साक्षात्कार करता है तथा सच्चे आनंद और शांति का आनंद उठाता है। (४४)