नाम सिमरन का अभ्यास करने से वायु के समान चंचल मन को मछली की तीव्र और तेज गति में बदला जा सकता है। सच्चे गुरु के वचन के साथ संगति विकसित करने से व्यक्ति उत्तम अवस्था को प्राप्त करता है।
जीवन का अमृत (आनंदमय शांति) केवल ध्यान से ही प्राप्त होता है। अविनाशी अहंकार को जलाकर, अविनाशी मन को मारकर, सभी संशय और शंकाओं को त्यागकर जो लोग अपने शरीर को स्थिर कर लेते हैं, उनकी जीवन-शक्ति को दिशा मिल जाती है।
अविनाशी अहंकार को जलाकर, अविनाशी मन को मारकर, सभी संदेहों और शंकाओं को त्यागकर, जो लोग अपने शरीर को स्थिर कर लेते हैं, उनकी जीवन-शक्ति को एक दिशा मिल जाती है।
जैसे आकाश आकाश में, वायु वायु में तथा जल अपने मूल में मिल जाता है, वैसे ही प्राणशक्ति भगवान के तेज में मिल जाती है और परम आनन्द का अनुभव होता है। (16)