जिस प्रकार पत्थर बरसात में भी जल धारण नहीं करता और न ही नरम होता है, उसी प्रकार वह लाख प्रयत्न करने पर भी फसल नहीं दे सकता।
जैसे वसंत ऋतु में सभी पेड़-पौधे खिलते हैं, लेकिन कीकर (अकेशिया अरेबिका) के पेड़ों पर उनकी प्रजाति की विशिष्टता के कारण फूल नहीं आते।
जिस प्रकार एक बांझ स्त्री अपने पति के साथ वैवाहिक सुख का आनंद लेने के बावजूद गर्भधारण से वंचित रह जाती है, तथा वह अपनी व्यथा को छिपाती रहती है।
इसी प्रकार मैं कौआ (गंदगी खाने का आदी) हंसों की संगति में भी नाम-सिमरन के मोती-रूपी भोजन से वंचित रह गया। (237)