कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 598


ਕਾਲਰ ਮੈਂ ਬੋਏ ਬੀਜ ਉਪਜੈ ਨ ਪਾਨ ਧਾਨ ਖੇਤ ਮੈ ਡਾਰੇ ਸੁ ਤਾਂ ਤੇ ਅਧਿਕ ਅਨਾਜ ਹੈ ।
कालर मैं बोए बीज उपजै न पान धान खेत मै डारे सु तां ते अधिक अनाज है ।

जिस प्रकार लवणीय भूमि में बोए गए बीज से एक पत्ता भी नहीं उगता, किन्तु यदि इस भूमि को जिप्सम नमक से उपचारित कर दिया जाए तो यह अधिक उपज देती है।

ਕਾਲਰ ਸੈ ਕਰਤ ਸਬਾਰ ਜਮ ਸਾ ਊਸੁ ਤੌ ਪਾਵਕ ਪ੍ਰਸੰਗ ਤਪ ਤੇਜ ਉਪਰਾਜ ਹੈ ।
कालर सै करत सबार जम सा ऊसु तौ पावक प्रसंग तप तेज उपराज है ।

खारा पानी जब पानी के साथ मिलाया जाता है तो वाष्पीकृत हो जाता है और फिर संघनित हो जाता है, लेकिन जब इसे आग के पास लाया जाता है तो विस्फोट उत्पन्न होता है।

ਜਸਤ ਸੰਯੁਕਤ ਹ੍ਵੈ ਮਿਲਤ ਹੈ ਸੀਤ ਜਲ ਅਚਵਤ ਸਾਂਤਿ ਸੁਖ ਤ੍ਰਿਖਾ ਭ੍ਰਮ ਭਾਜ ਹੈ ।
जसत संयुकत ह्वै मिलत है सीत जल अचवत सांति सुख त्रिखा भ्रम भाज है ।

यही खारा नमक जब जिंक के बर्तन के संपर्क में आता है तो पानी ठंडा हो जाता है और पीने पर शांति और आराम मिलता है। यह प्यास और लालसा को शांत करता है।

ਤੈਸੇ ਆਤਮਾ ਅਚੇਤ ਸੰਗਤ ਸੁਭਾਵ ਹੇਤ ਸਕਿਤ ਸਕਿਤ ਗਤ ਸਿਵ ਸਿਵ ਸਾਜ ਹੈ ।੫੯੮।
तैसे आतमा अचेत संगत सुभाव हेत सकित सकित गत सिव सिव साज है ।५९८।

इसी प्रकार मनुष्यात्मा भी अच्छी-बुरी संगति के प्रभाव में आकर तथा चेतन रहित माया से प्रेम और आसक्ति करके चेतन रहित हो जाता है। तथा चेतन दयालु भगवान् से प्रेम करके वह भी दयालु और कर्तव्यनिष्ठ हो जाता है। (५९८)