जिस प्रकार लवणीय भूमि में बोए गए बीज से एक पत्ता भी नहीं उगता, किन्तु यदि इस भूमि को जिप्सम नमक से उपचारित कर दिया जाए तो यह अधिक उपज देती है।
खारा पानी जब पानी के साथ मिलाया जाता है तो वाष्पीकृत हो जाता है और फिर संघनित हो जाता है, लेकिन जब इसे आग के पास लाया जाता है तो विस्फोट उत्पन्न होता है।
यही खारा नमक जब जिंक के बर्तन के संपर्क में आता है तो पानी ठंडा हो जाता है और पीने पर शांति और आराम मिलता है। यह प्यास और लालसा को शांत करता है।
इसी प्रकार मनुष्यात्मा भी अच्छी-बुरी संगति के प्रभाव में आकर तथा चेतन रहित माया से प्रेम और आसक्ति करके चेतन रहित हो जाता है। तथा चेतन दयालु भगवान् से प्रेम करके वह भी दयालु और कर्तव्यनिष्ठ हो जाता है। (५९८)