सभी सम्पत्तियाँ, चमत्कारी शक्तियाँ, तथाकथित अमृत, पारस पत्थर, स्वर्ग के वृक्ष और गाय, सभी चिंताओं से मुक्ति देने वाला मोती और यहाँ तक कि देवी लक्ष्मी (धन की देवी) भी तुच्छ हैं।
चार तत्त्व - चरित्र की पवित्रता, धर्म, सुन्दर रूप, सद्गुण, विषय-ज्ञान का आस्वादन तथा अप्राप्य एवं अविवेकी भगवान् से एकता के साधन भी तुच्छ हैं।
चमकती हुई चमत्कारी बुद्धि, जग में प्रशंसा, वैभव और ऐश्वर्य, शक्ति, तप, क्रांतिकारी प्रशंसा, विलासी जीवन और साधु-पुरुषों की सेवा भी बेजोड़ है।
सच्चे गुरु की कृपा की एक क्षणिक झलक उस दास सिख को सभी आनंद, उल्लास, खुशी और लाखों तेज प्रदान करती है, जिसे गुरु द्वारा प्रभु के नाम के अभिषेक का आशीर्वाद मिला है। (612)