कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 655


ਜੈਸੀਐ ਸਰਦ ਨਿਸ ਤੈਸੇ ਈ ਪੂਰਨ ਸਸਿ ਵੈਸੇ ਈ ਕੁਸਮ ਦਲ ਸਿਹਜਾ ਸੁਵਾਰੀ ਹੈ ।
जैसीऐ सरद निस तैसे ई पूरन ससि वैसे ई कुसम दल सिहजा सुवारी है ।

जैसे सर्दी की रात होती है, वैसे ही आज की रात चाँद भी चमक रहा है। फूलों की खुशबूदार कलियाँ बिस्तर पर सजी हुई हैं।

ਜੈਸੀ ਏ ਜੋਬਨ ਬੈਸ ਤੈਸੇ ਈ ਅਨੂਪ ਰੂਪ ਵੈਸੇ ਈ ਸਿੰਗਾਰ ਚਾਰੁ ਗੁਨ ਅਧਿਕਾਰੀ ਹੈ ।
जैसी ए जोबन बैस तैसे ई अनूप रूप वैसे ई सिंगार चारु गुन अधिकारी है ।

एक ओर यौवन है तो दूसरी ओर अतुलनीय सौंदर्य है। इसी प्रकार एक ओर नाम सिमरन की शोभा है तो दूसरी ओर गुणों की प्रचुरता है।

ਜੈਸੇ ਈ ਛਬੀਲੈ ਨੈਨ ਤੈਸੇ ਈ ਰਸੀਲੇ ਬੈਨ ਸੋਭਤ ਪਰਸਪਰ ਮਹਿਮਾ ਅਪਾਰੀ ਹੈ ।
जैसे ई छबीलै नैन तैसे ई रसीले बैन सोभत परसपर महिमा अपारी है ।

एक ओर आकर्षक और चमकती हुई आंखें हैं, तो दूसरी ओर अमृत से भरे मीठे शब्द हैं। इस प्रकार इनके भीतर शब्दों से परे सौंदर्य विद्यमान है।

ਜੈਸੇ ਈ ਪ੍ਰਬੀਨ ਪ੍ਰਿਯ ਪ੍ਯਾਰੋ ਪ੍ਰੇਮ ਰਸਿਕ ਹੈਂ ਵੈਸੇ ਈ ਬਚਿਤ੍ਰ ਅਤਿ ਪ੍ਰੇਮਨੀ ਪਿਆਰੀ ਹੈ ।੬੫੫।
जैसे ई प्रबीन प्रिय प्यारो प्रेम रसिक हैं वैसे ई बचित्र अति प्रेमनी पिआरी है ।६५५।

जिस प्रकार प्रियतम स्वामी प्रेम कला में निपुण होते हैं, उसी प्रकार प्रियतम साधक की विचित्र एवं आश्चर्यजनक काम-भावनाएँ एवं प्रेम भी निपुण होते हैं। (६५५)