कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 669


ਏਈ ਅਖੀਆਂ ਜੁ ਪੇਖਿ ਪ੍ਰਥਮ ਅਨੂਪ ਰੂਪ ਕਾਮਨਾ ਪੂਰਨ ਕਰਿ ਸਹਜ ਸਮਾਨੀ ਹੈ ।
एई अखीआं जु पेखि प्रथम अनूप रूप कामना पूरन करि सहज समानी है ।

ये वही नेत्र हैं जो प्रियतम भगवान के अत्यन्त सुन्दर स्वरूप का दर्शन करते थे और अपनी कामनाओं की पूर्ति करते हुए आत्मिक आनन्द में लीन हो जाते थे।

ਏਈ ਅਖੀਆਂ ਜੁ ਲੀਲਾ ਲਾਲਨ ਕੀ ਇਕ ਟਕ ਅਤਿ ਅਸਚਰਜ ਹ੍ਵੈ ਹੇਰਤ ਹਿਰਾਨੀ ਹੈ ।
एई अखीआं जु लीला लालन की इक टक अति असचरज ह्वै हेरत हिरानी है ।

ये वे आंखें हैं जो प्रिय प्रभु के दिव्य चमत्कारों को देखकर आनंद से झूम उठती थीं।

ਏਈ ਅਖੀਆਂ ਜੁ ਬਿਛੁਰਤ ਪ੍ਰਿਯ ਪ੍ਰਾਨਪਤਿ ਬਿਰਹ ਬਿਯੋਗ ਰੋਗ ਪੀਰਾ ਕੈ ਪਿਰਾਨੀ ਹੈ ।
एई अखीआं जु बिछुरत प्रिय प्रानपति बिरह बियोग रोग पीरा कै पिरानी है ।

ये वे आंखें हैं जो मेरे जीवन के स्वामी प्रभु के वियोग में सबसे अधिक कष्ट पाती थीं।

ਨਾਸਕਾ ਸ੍ਰਵਨ ਰਸਨਾ ਮੈ ਅਗ੍ਰਭਾਗ ਹੁਤੀ ਏਈ ਅਖੀਆਂ ਸਗਲ ਅੰਗ ਮੈਂ ਬਿਰਾਨੀ ਹੈ ।੬੬੯।
नासका स्रवन रसना मै अग्रभाग हुती एई अखीआं सगल अंग मैं बिरानी है ।६६९।

प्रियतम के साथ प्रेमपूर्ण सम्बन्ध निभाने के लिए ये आँखें जो मेरे शरीर के अन्य सभी अंगों जैसे नाक, कान, जीभ आदि से आगे रहती थीं, अब उन सब पर अजनबी जैसा व्यवहार कर रही हैं। (प्रियतम प्रभु के दर्शन और उनके अद्भुत कर्म से वंचित होकर)