कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 312


ਜੈਸੇ ਤਉ ਬਸਨ ਅੰਗ ਸੰਗ ਮਿਲਿ ਹੁਇ ਮਲੀਨ ਸਲਿਲ ਸਾਬੁਨ ਮਿਲਿ ਨਿਰਮਲ ਹੋਤ ਹੈ ।
जैसे तउ बसन अंग संग मिलि हुइ मलीन सलिल साबुन मिलि निरमल होत है ।

जैसे कपड़े शरीर से छू जाने पर गंदे हो जाते हैं, लेकिन पानी और साबुन से धुलकर साफ हो जाते हैं

ਜੈਸੇ ਤਉ ਸਰੋਵਰ ਸਿਵਾਲ ਕੈ ਅਛਾਦਿਓ ਜਲੁ ਝੋਲਿ ਪੀਏ ਨਿਰਮਲ ਦੇਖੀਐ ਅਛੋਤ ਹੈ ।
जैसे तउ सरोवर सिवाल कै अछादिओ जलु झोलि पीए निरमल देखीऐ अछोत है ।

जिस प्रकार तालाब का पानी शैवाल और गिरे हुए पत्तों की पतली परत से ढका होता है, लेकिन हाथ से परत को हटाने पर पीने योग्य स्वच्छ जल प्रकट होता है।

ਜੈਸੇ ਨਿਸ ਅੰਧਕਾਰ ਤਾਰਕਾ ਚਮਤਕਾਰ ਹੋਤ ਉਜੀਆਰੋ ਦਿਨਕਰ ਕੇ ਉਦੋਤ ਹੈ ।
जैसे निस अंधकार तारका चमतकार होत उजीआरो दिनकर के उदोत है ।

जैसे रात में तारों के टिमटिमाने पर भी अंधेरा रहता है, लेकिन सूर्य के उगने पर प्रकाश सर्वत्र फैल जाता है।

ਤੈਸੇ ਮਾਇਆ ਮੋਹ ਭ੍ਰਮ ਹੋਤ ਹੈ ਮਲੀਨ ਮਤਿ ਸਤਿਗੁਰ ਗਿਆਨ ਧਿਆਨ ਜਗਮਗ ਜੋਤਿ ਹੈ ।੩੧੨।
तैसे माइआ मोह भ्रम होत है मलीन मति सतिगुर गिआन धिआन जगमग जोति है ।३१२।

इसी प्रकार माया का प्रेम भी मन को कलंकित कर देता है, परन्तु सद्गुरु के उपदेश और उनके ध्यान से वह उज्ज्वल हो जाता है। (312)