मनुष्य जन्म में व्यक्ति अच्छी या बुरी संगति के प्रभाव में आता है। इसलिए गुरु की शिक्षा व्यक्ति में सद्गुणों का संचार करती है, जबकि बुरी संगति व्यक्ति को नीच बुद्धि से भर देती है।
सच्चे लोगों की संगति में, व्यक्ति भक्त, विश्लेषणात्मक व्यक्ति, मुक्त जीवन और दिव्य ज्ञान का स्वामी बन जाता है।
बुरे और दुर्गुणी लोगों की संगति मनुष्य को चोर, जुआरी, धोखेबाज, डाकू, व्यसनी और अभिमानी बना देती है।
सारा संसार अपने-अपने ढंग से शांति और सुख भोगता है। परंतु गुरु की शिक्षा के आशीर्वाद और उससे मिलने वाली खुशी की तीव्रता को कोई विरला ही समझ पाया है। (165)