जैसे नाव में लदा आठ धातुओं का बंडल पारगमन के दौरान अपने रूप या रंग में किसी भी परिवर्तन के बिना दूसरे किनारे तक पहुंच जाएगा,
जब इन धातुओं को आग में डाला जाता है, तो वे पिघलकर अग्नि का रूप ले लेती हैं और फिर उनसे धातु के सुंदर आभूषण बनाए जाते हैं जो एक-दूसरे से कहीं अधिक सुंदर दिखते हैं।
लेकिन जब वह पारस पत्थर के संपर्क में आता है तो सोने में बदल जाता है। अमूल्य होने के साथ-साथ वह देखने में भी सुंदर और आकर्षक हो जाता है।
इसी प्रकार भगवत्-प्रणिष्ट एवं पवित्र पुरुषों की संगति से मनुष्य पवित्र हो जाता है। पारसमणि में श्रेष्ठ, सच्चे गुरु का मिलन होने पर मनुष्य पारसमणि के समान हो जाता है। (166)