जिस प्रकार लवणीय और बंजर भूमि में बोया गया बीज एक पत्ता भी नहीं देता, उसी प्रकार व्यक्ति अपनी पूंजी (बीज) खो देता है और बर्बादी पर रोता है, साथ ही उसे राजस्व भी देना पड़ता है।
जिस प्रकार जल को मथने से मक्खन नहीं प्राप्त होता, अपितु इस प्रक्रिया में मथानी और मिट्टी का बर्तन टूट सकता है।
जैसे एक बांझ औरत जादू-टोने और काले जादू के प्रभाव में भूत-प्रेतों और डायनों से बेटे का आशीर्वाद मांगती है, लेकिन वह बेटा पैदा नहीं कर पाती बल्कि उसे अपनी जान जाने का डर सताता है। वह खुद को उनके जादू से मुक्त करने का प्रयास करती है लेकिन वे (भूत-प्रेत और जादूगरनी) उसे धोखा देते हैं।
सच्चे गुरु से शिक्षा और ज्ञान प्राप्त किए बिना अन्य देवी-देवताओं की सेवा केवल दुःख ही देती है। उनसे प्रेम करने से इस लोक और परलोक दोनों में दुःख ही मिलता है। (४७६)