सच्चे गुरु के स्वरूप पर मन को केन्द्रित करने से ज्ञान की दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है। सच्चे गुरु की कृपा से मानव शरीर को ईश्वरीय तेज प्राप्त होता है और उसका इस संसार में आना सफल होता है।
मन को भगवान के वचन पर केन्द्रित करने से अज्ञान के चट्टान जैसे मजबूत द्वार खुल जाते हैं। ज्ञान की प्राप्ति से भगवान के नाम का खजाना प्राप्त होता है।
सच्चे गुरु के चरणों की धूल का स्पर्श और स्पर्श मन में भगवान के नाम की सुगंध को सजीव कर देता है। उनकी प्रार्थना और सेवा में हाथ लगाने से सच्चा और वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
इस प्रकार मनुष्य का रोम-रोम उज्जवल हो जाता है और वह दिव्य ज्योति में लीन हो जाता है। उसके सभी विकार और वासनाएँ समाप्त हो जाती हैं और उसका मन भगवान के चरणों के प्रेम में लग जाता है। (18)