कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 450


ਐਸੀ ਨਾਇਕਾ ਮੈ ਕੁਆਰ ਪਾਤ੍ਰ ਹੀ ਸੁਪਾਤ੍ਰ ਭਲੀ ਆਸ ਪਿਆਸੀ ਮਾਤਾ ਪਿਤਾ ਏਕੈ ਕਾਹ ਦੇਤ ਹੈ ।
ऐसी नाइका मै कुआर पात्र ही सुपात्र भली आस पिआसी माता पिता एकै काह देत है ।

एक कुंवारी कन्या जो सदैव आशा करती है कि उसे अपने पिता द्वारा एक दिन उसके लिए ढूंढे गए पति के घर में उच्च पद प्राप्त होगा, वह धोखेबाज स्त्री से कहीं बेहतर है।

ਐਸੀ ਨਾਇਕਾ ਮੈ ਦੀਨਤਾ ਕੈ ਦੁਹਾਗਨ ਭਲੀ ਪਤਿਤ ਪਾਵਨ ਪ੍ਰਿਅ ਪਾਇ ਲਾਇ ਲੇਤ ਹੈ ।
ऐसी नाइका मै दीनता कै दुहागन भली पतित पावन प्रिअ पाइ लाइ लेत है ।

वह स्त्री जो अपने पति से अलग हो गई हो और जो अपनी विनम्रता के कारण अपने किए पर पश्चाताप करती हो, जिसके फलस्वरूप उसका पति उसके पापों को क्षमा कर देता हो, वह छली स्त्री से कहीं अधिक श्रेष्ठ है।

ਐਸੀ ਨਾਇਕਾ ਮੈ ਭਲੋ ਬਿਰਹ ਬਿਓਗ ਸੋਗ ਲਗਨ ਸਗਨ ਸੋਧੇ ਸਰਧਾ ਸਹੇਤ ਹੈ ।
ऐसी नाइका मै भलो बिरह बिओग सोग लगन सगन सोधे सरधा सहेत है ।

जो स्त्री अपने पति से अलग हो गई है और वियोग की पीड़ा सहते हुए पुनर्मिलन के लिए शुभ समय और शुभ शकुन ढूंढने में तत्पर रहती है, वह विश्वासघाती और धोखेबाज स्त्री से श्रेष्ठ है।

ਐਸੀ ਨਾਇਕਾ ਮਾਤ ਗਰਭ ਹੀ ਗਲੀ ਭਲੀ ਕਪਟ ਸਨੇਹ ਦੁਬਿਧਾ ਜਿਉ ਰਾਹੁ ਕੇਤੁ ਹੈ ।੪੫੦।
ऐसी नाइका मात गरभ ही गली भली कपट सनेह दुबिधा जिउ राहु केतु है ।४५०।

ऐसी कपटपूर्ण प्रेमवाली स्त्री को तो माता के गर्भ में ही मर जाना चाहिए था। कपटपूर्ण प्रेम ऐसे द्वैत से भरा है, जैसे राहु और केतु नामक दो राक्षस हैं, जो सूर्य और चंद्र ग्रहण का कारण बनते हैं। (450)